Thursday, February 11, 2010

नही छोडेंगे हम धुम्रपान कभी

फूंकने का कर्तव्य है हमारा
और सहना धरम है तुम्हारा
कहीं भी कभी भी किसी भी हाल में
तलब मिटाना हमको खूब भाता है
बच्चें हों, बुजुर्ग हों, बीमार हों या भीड़ हों
बेशक पर्यावरण का कितना भी सर्वनाश हों
अरे भाई पढे लिखे है हम बहुत
यह विज्ञापन और प्रतिबन्ध
भला हमको कोई रोक पाएंगे
जान लीजिये यह जरुरी बात
की धुम्रपान उतना ही जरुरी है हम लोगों के लिए
जितना शरीर में आत्मा का होना जरुरी है
यूं भी यह कोई इतनी बुरी चीज़ नही
शान औ शौकत के अंदाज़ हैं
बड़े बड़े लोग करते है
या यूं कहिये जो करते है
वो ही बड़े हों जाते है
क्या अदा किस मस्ती से और जूनून का
पुरा लुत्फ़ उठाते है
चिंता हों या कैसा भी दर्द
हर चीज़ में बड़ा सहारा मिलता है
वैसे भी जवानी का मतलब ?
बड़े हों गए है अब आजाद परिंदे हैं
सिगरेट के हर कश से नई नई
कल्प्नाओ को ऊँची उड़ान मिलती है
रोब और ताकत का सर्वोत्तम विकल्प है ये
अब आप चाहे कितनी भी बड़ी बिमरिओं का वास्ता दे लीजिये
डरा लीजिये, समझा लीजिये
कानून पर कानून खूब बना लीजिये
परन्तु इतना हमारा भी सुन लीजिये
की धुम्रपान बेहद जरुरी है
चाहे हमको आप कितना भी ख़ुद में कमजोर कह लीजिये
पर हमें कोई ताकत नही रोक सकती ऐसा करने के लिए
बेशक कल को हमारे बच्चे
रोग लेके जन्में हमारी वजह से
और बेचारे कितने भी बन जाए मरीज हमारे धुंये की वजह से
ये इन सबका नसीब है
हमको क्या मतलब दूसरो की जिन्दगी से
जो होना हो
होए हमारी बाला से
हमें जीवन मिला है
भगवन की कृपा से
और हम जियेंगे इसको सिर्फ़ और सिर्फ़ अपनी तरह से
कोई कर्तव्य और कोई धरम और कोई बोल बचन
हमको बाँध नही सकते
धुम्रपान रोकने की प्रतिज्ञा से

( धुम्रपान करने वालों के प्रति पुरी इज्ज़त और सम्मान से)
(रचनाकार : रवि कवि )

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